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खूबसूरत कहानी, बेहतरीन अदाकारी और अच्छा सबक 'हिंदी मीडियम' ( स्टार 4 /5 )

पिछले कुछ दिनों पहले मेरे घर में जो चल रहा था, वह मुझे पर्दे पर नज़र आया, लड़का २ साल का होने आया स्कूल एडमीशन  की बाते घर पर चल ही रही हैं किस स्कूल में डालें और कौनसी स्कूल नंबर वन हैं | यही है साकेत चौधरी फिल्म हिंदी मीडियम ............
फिल्म       : हिंदी मीडियम
श्रेणी          : कॉमेडी ड्रामा
निर्देशक     : साकेत चौधरी
निर्माता     : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, दिनेश विजन
कास्ट       :  इरफान खान, सबा कमर, दीपक डोबरियाल, दिशिता सहगल, जसपाल शर्मा, देवांश शर्मा
संगीत       :  सचिन-जिगर
रेटिंग        :   4/5
       कई बार जब हमें इंग्लिश बोलने नहीं आती हैं तो हमें शर्म आती हैं, हम हिंदी मीडियम से पढ़े हैं, भारत में इंग्लिश न आना तो शर्म की ही बात होती हैं, शायद इस फिल्म के बाद हमें हिंदी मीडियम से पढ़ने पर गर्व महसूश  होगा | 
        कहानी की बात करते हैं  राज बत्रा(इरफान) और मीता(सबा कमर) की है। दोनों शादीशुदा कपल है और दिल्ली में राज बत्रा की कपड़ों की दुकान है। राज अमीर तो है पर वह हिंदी मीडियम से पढ़ा हैं जिस कारन उसे इंग्लिश नहीं आती हैं , खेर मीता चाहती हैं की उनकी  बेटी पिया का अंग्रेजी मीडियम स्कूल  वह भी हाई स्कूल में  एडमीशन हो जाए । जिसके लिए यह जोड़ा कई जद्दोजहद करता है पहले यह जोड़ा  चांदनी चौक से हाई सोसाइटी वसंत विहार में शिफ्ट होता है और बेटी के एडमिशन के लिए अमीरी के तौर तरीके से दो चार होना पड़ता हैं,  पर कितना भी कर ले पेरेंट्स के इंटरव्यू में यह जोड़ा नाकामयाब  हो जाता है। अब उन्हें एक रास्ता और नज़र आता हैं वह हैं गरीब कोटा  जिसके लिए इन्हे गरीब बनना पड़ता हैं और परिवार गरीब बन जाता है जहां इनकी मुलाकात श्याम (दीपक डोबरियाल) और उसके परिवार से होती है। और फिर उसके बाद कहानी में कई मोड़ आते हैं जिसे आप पर्दे पर देखें, देखें की इंग्लिश मीडियम और नंबर वन स्कूल के साथ व्यवसाय बनाए लोंगो को कैसे उजागर करते हैं | 
        निर्देशन की बात करते हैं कमाल का निर्देशन हैं  खासकर रियल लोकेशन को साकेत ने अच्छी तरफ से उतारा हैं फिल्म  सिनेमेटोग्राफी और ड्रोन कैमरा के शॉट्स  हो सभी का इस्तेमाल खूब बेहतरीन किया हैं साकेत चौधरी के करियर की भी ये सबसे उम्दा फिल्म है।  एक एक सीन को आप भूल नहीं पाएंगे, स्पेलिंग आती हैं, कहते हुए सिनेमा हॉल से बहार आ कर प्रश्न वाचक चिन्ह तो होगा ही साथ ही हिंदी और इंग्लिश मीडियम का अंतर भी समज में आ जाएगा | 
      अभिनय की बात करते हैं इरफ़ान खान की जितनी तारीफ करे उतनी कम होंगी अभिनय नहीं बल्की इस किरदार को इरफ़ान ने जिया हैं, और है उनका साथ खूब दिया सबा कमर ने भी उनकी पत्नी के किरदार में, फिल्म देख यह प्रतीत भी नहीं होगा की सबा की यह पहली ही फिल्म हैं, दीपक डोबरियाल  की तारीफ क्या करना मंजे हुए कलाकार हैं काफी उम्दा अभिनय करते नज़र आए | साथ ही अन्य कलाकारों ने भी बढ़िया काम किया खास कर अमृता सिंह ने भी | 
      संगीत की बात करते हैं इस तरफ की फिल्मों में गाने की आवश्यकता नहीं होती और होती भी है तो स्कूल प्रोग्राम और बैकग्राउंड में यही नज़र भी आया कहानी के संग और कहानी को कई भड़कने  देने वाला अच्छा संगीत हैं | 
 
पुष्कर ओझा